इसी प्रकार जब कोई देश धन देता है अथवा भुगतान करता है, इसे डेबिट अर्थात नामे डालना कहते है | सैद्धांतिक तौर पर यह कहा जाता है की भुगतान संतुलन (बीओपी) सदैव शून्य होना चाहिए | इसका अर्थ होता है कि परिसंपत्ति अथवा ऋण और देनदारियां अथवा नागे राशि, एक-दूसरे के बराबर होनी चाहिए |